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Shero Shayari in Hindi

कोई नहीं याद करता वफ़ा करने वालों को,
मेरी मानों बेवफा हो जाओ ज़माना याद रखेगा..!!
सारी दुनिया के रूठ जाने से मुझे कोई गरज नहीं,
बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है..!!
बेहिसाब मोहब्बत है मुझे,
एक लापरवाह शख्स से..!!
सजा कोई भी दो मगर नजर के सामने रहो,
क्योंकि तुम्हारे बिना जीने की आदत नहीं मुझे..!!
शायर कहकर बदनाम न कर मुझे,
मैं तो रोज़ शाम को दिनभर का हिसाब लिखता हूँ..!!
अगर सब कुछ मिल जाये ज़िन्दगी में तो किसकी तमन्ना करोगे,
कुछ अधूरी ख्वाहिशें तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा देती हैं..!!
इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं..!!
मोहब्बत का दर्द भी क्या खूब होता है,
न चुभता है, न दिखता है, बस महसूस होता है..!!
दाम ऊंचे हो सकते हैं ख्वाहिशों के,
मगर खुशियाँ हरगिज़ महँगी नहीं होती..!!
मेरे लफ़्ज़ों को इतनी शिद्दत से न पढ़ा करो,
कुछ याद रह गया तो हमें भूल नहीं पाओगे..!!

जरूरी नही कुछ तोडने के लिये पथ्थर ही मारा जाए,
लहजा बदल के बोलने से भी बहोत कुछ टूट जाता है..!!
ये कैसे मुनकिन है कि जिंदगी में गम न मिले,
कोई हमें न मिला किसी को हम न मिले,
क्या चाल चली है मेरे मुक्दर ने मुझसे,
प्यार तेरा मिला मगर तुम न मिले..!!
पुछ कर देख अपने दिल से की हमे भुलना चाहता है क्या,
अगर उसने हां कहा तो कसम से महोब्बत करना छोङ देगे..!!
सोचता हूँ बंद करूँ लिखना शायरी,
ये किसी के काम नहीं आती,
उसकी याद तो दिलाती है पर,
उस का दीदार नहीं कराती..!!
नशा हम करते हैं, इलज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है..!!
अपने नहीं तो अपनों का साथ क्या होगा,
सपनों में हो उनसे मुलाकात तो क्या होगा,
सुबह से शाम तक हमें इंतजार हो जिनका,
वादों में कटे रात तो रात का क्या होगा..!!
खींच कर आज मुझे मेरे घर लायी है,
मेरे बचपन की यादे मेरे मन में समायी है,
अब ना चाहिए मुझे दौलत इस दुनिया की,
मेरी माँ की मोहब्बत मेरी उम्र भर की कमाई है..!!
एक आँसू कह गया सब हाले दिल का,
मै समझती थी ये ज़ालिम बे-जुबान है..!!
तुमसे क्या गिला करना गुजारिश है मिला करना,
जिंदगी मेरी आसान होगी बस साँसों में घुला करना..!!
दिल होना चाहिए जिगर होना चाहिए,
आशिकी के लिए हुनर होना चाहिए,
नजर से नजर मिलने पर इश्क नहीं होता,
नजर के उस पार भी एक असर होना चाहिए..!!

वक़्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना,
पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है..!!
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना,
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता..!!
ढल रही हैं ज़िन्दगी बुझ गई शमा परवाने की,
अब वजह जीने की नहीं मिलती यहाँ,
ज़नाब आपको अब भी पड़ी हैं मुस्कराने की..!!
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है..!!
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी,
चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है,
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास,
पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है..!!
हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ,
दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे,
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे..!!
जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो,
जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो,
कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं,
जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो..!!
न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की..!!
उजालों की परियाँ नहाने लगीं,
नदी गुनगुनाई ख़यालात की..!!
तुझसे दूर रहकर तुन वक़्त गुज़ारा मैंने,
ना होंठ हिले फिर भी पल पल पुकारा मैंने..!!

तकलीफ ये नही की तुझे अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ जब हम नजरअंदाज किये गये..!!
तुम्हारा नाम आया और हम ताकने लगे रास्ता,
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हमने..!!
नज़र में ज़ख़्म-ए-तबस्सुम छुपा छुपा के मिला,
खफा तो था वो मगर मुझ से मुस्कुरा के मिला..!!
वो हमसफ़र कि मेरे तंज़ पे हंसा था बहुत,
सितम ज़रीफ़ मुझे आइना दिखा के मिला..!!
मील को हर शख्स एहतराम से मिला,
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला..!!
मिज़ाज़ में थोड़ी सख्ती लाज़मी है हुज़ूर,
लोग पि जाते है समन्दर अगर खड़ा न होता..!!
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ..!!
में खुद हैरान हूँ की तुझसे इतनी मोहब्बत क्यों है मुझे,
जब भी प्यार शब्द आता है चेहरा तेरा ही याद आता है..!!
तुमने जिंदगी का नाम तो सुना ही होगा,
मैंने पुकारा है तुम्हें अक्सर उस नाम से..!!
मेरे दिल की नाज़ुक धड़कनों को तुमने धड़कना सिखा दिया,
जब से मिला है प्यार तेरा ग़म में भी मुस्कराना सिखा दिया..!!

रोज एक नयी तकलीफ रोज एक नया गम,
ना जाने कब एलान होगा की मर गए हम..!!
पूरा हक़ है तेरा मुझ पे तू सब जताया कर,
में ना पुछु मुझे फिर भी सब बताया कर..!!
तेरे खामोश होठों पर मोहब्बत गुन गुनाती है,
तू मेरी है मैं तेरा हूँ बस यही आवाज़ आती है..!!
हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे,
आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे,
बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो,
हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे..!!
कभी कभी तकलीफ में मुस्कुराना पड़ता है,
ताकि हमारे घर वाले हमारे लिए परेशां न हो जाएँ..!!
नींद से उठ कर इधर-उधर ढूँढती रहती हूँ मै,
कि ख्वाबो में मेरे इतने करीब चले आते हो तुम..!!
चाँद की चाँदनी से एक पालकी बनायी है,
ये पालकी हम ने तारों से सजाई है,
ऐ हवा ज़रा धीरे-धीरे ही चलना,
मेरे दोस्त को बड़ी प्यारी सी नींद आई है..!!
मोहब्बत का सफर लंबा हुआ,
तो क्या हुआ, थोड़ा तुम चलो,
थोड़ा हम चले, थोड़ा तुम चलो,
थोड़ा हम चले, फिर रिक्शा कर लेंगे..!!
तेरे न होने से कुछ भी नहीं बदला,
बस कल जहा दिल होता था आज वह दर्द होता है..!!
मुझमे बे इन्तहा मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं,
तुम अगर चाहो तो सांसो की तलाशी ले लो..!!

अगर मोहब्बत हो तो गरीब से हो,
तोहफे न सही धोखे तो नहीं मिलेंगे..!!
साथ ना रहने से रिश्ते टूटा नहीं करते,
वक़्त की धुंध से लम्हे टूटा नहीं करते,
लोग कहते हैं कि मेरा सपना टूट गया,
टूटी नींद है सपने टूटा नहीं करते..!!
अल्फाज तो जमाने के लिये हैं तुम आना,
तुम्हें हम दिल की धडकनें सुनायेंगे..!!
बस इतना करीब रहो की,
बात न भी हो तो दूरी ना लगे..!!
ज़िन्दगी से इतना सबक तो सीख लिया है,
फिक्र में रहोगे तो खूब जलोगे बेफिक्र रहोगे तो दुनिया जलेगी..!!
जो तू साथ न छोड़े ता-उम्र मेरा ए मेहबूब,
मौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना,
इतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में,
दूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना..!!
मेरी नजरों की तरफ देख जमानें पे न जा,
इक नजर फेर ले जीने की इजाजत दे दे,
रुठ ने वाले वो पहली सी मोहब्बत दे दे,
इश्क मासुम है इल्जाम लगाने पे न जा..!!
चेहरा हसीं गुलाबो से मिलता जुलता है,
नशा पीने से ज्यादा तुम को देखने से चढ़ता है..!!
अकेले हम बूँद है मिल जाएं तो सागर हैं,
और अकेले हम धागा हैं मिल जाएं तो चादर हैं,
अकेले हम कागज हैं मिल जाए तो किताब हैं..!!
प्यार कहो तो दो ढाई लफज़ मानो तो बन्दगी,
सोचो तो गहरा सागर डूबो तो ज़िन्दगी,
करो तो आसान निभाओ तो मुश्किल,
बिखरे तो सारा जहाँ और सिमटे तो तुम..!!
कुछ रिश्तों को कभी भी नाम ना देना तुम,
इन्हें चलने दो ऐसे ही इल्ज़ाम ना देना तुम,
ऐसे ही रहने दो तुम तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में,
के अल्फ़ाज़ों को मेरे अंज़ाम ना देना तुम..!!
Final Words
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