क्या आप Rahat Indori Shayari ढूंड रहे है? तो पढ़िए राहत इन्दोरी साहब की Famous & Best Rahat Indori Shayari in Hindi और शेयर करिए सोशल मीडिया पर
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Rahat Indori Shayari / राहत इन्दोरी शायरी

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है..!!
इश्क़ में जीत के आने के लिए काफी हूं,
मैं निहत्था ही जमाने के लिए काफी हूं,
मेरी हर हकीकत को मेरी ख़ाक समझने वाले,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए हीं काफी हूं..!!
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए..!!
नए किरदार आते जा रहे हैं,
मगर नाटक पुराना चल रहा है..!!
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी..!!
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए..!!
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है..!!
ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा..!!
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ायम रहे,
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो..!!
बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएगी..!!

छू गया जब कभी ख़याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता रहा..!!
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें..!!
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए..!!
बोतलें खोल कर तो पी बरसों,
आज दिल खोल कर भी पी जाए..!!
ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे..!!
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे..!!
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं..!!
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी..!!
अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है,
लगेगी आग तो आएँगे घर कई जद में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है..!!
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे,
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे..!!
Rahat Indori Shayari in Hindi

दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए..!!
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा,
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया..!!
ये हवाएँ उड़ा न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन,
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो..!!
वो एक सवाल है फिर उसका सामना होगा,
दुआ करो की सलामत मेरी ज़बान रहे..!!
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे..!!
इस बार एक और भी दीवार गिर गयी,
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया..!!
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है,
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं..!!
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं..!!
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो..!!
जहाँ पे कुछ भी नहीं है वहाँ बहुत कुछ है,
ये कायनात तो है खाली हाशिया मेरा ,
बुलंदियों के सफर में ये ध्यान आता है,
ज़मीन देख रही होगी रास्ता मेरा..!!

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए..!!
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ..!!
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं,
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं..!!
आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो..!!
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते..!!
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ..!!
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए..!!
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो,
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो,
फूलों की दुकानें खोलो, ख़ुशबू का व्यापार करो,
इश्क़ ख़ता है तो ये ख़ता, एक बार नहीं सौ बार करो..!!
बोतलें खोल कर तो पी बरसों,
आज दिल खोल कर भी पी जाए..!!
दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए..!!
Rahat Indori Shayari on Life

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो..!!
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे..!!
फूलों की दुकाने खोलो, खुशबू का व्यापार करो,
इश्क़ खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार कर..!!
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं..!!
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है,
आँधी से कोई कह दे आँधी से के औकात में रहे..!!
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें..!!
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है,
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है..!!
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते..!!
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे,
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो..!!
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है..!!

आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के..!!
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नही..!!
अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे ,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे..!!
दोस्ती जब किसी से की जाये,
दुश्मनों की भी राय ली जाये..!!
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए..!!
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूँ है,
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है..!!
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे..!!
आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो..!!
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं..!!
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे,
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का,
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे..!!
Dr. Rahat Indori Shayari Hindi

प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी,
ना हक हमने बारिश का अहसान लिया..!!
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं..!!
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा,
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा..!!
जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से,
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से..!!
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहां पर ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं..!!
सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ,
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए..!!
जिंदगी है एक सफर और जिंदगी की राह में,
ज़िन्दगी भी आये तो ठोकर लगानी चाहिए..!!
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे..!!
सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए,
ए खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए..!!
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना,
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना..!!

मेरे अधूरे शेर में थी कुछ कमी मगर,
तुम मुस्कुरा दिए तो मुझे दाद मिल गयी..!!
ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी,
कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं..!!
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशां हो जायें,
मुश्किलें जान ही ले लें अगर आसां हो जायें,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएं तो इंसान हो जाएं..!!
सब प्यासे हैं सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है,
हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है..!!
सलिक़ा जिनको सिखाया था हमने चलने का,
वो लोग आज हमें दायें-बायें करने लगे..!!
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो,
बहरों का इलाक़ा है ज़रा ज़ोर से बोलो..!!
इसे तूफां ही किनारे से लगा देते हैं,
मेरी कश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं..!!
शहरों में बारूदों का मौसम है,
गांव चलो ये अमरूदों का मौसम है..!!
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए,
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए..!!
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए..!!
Shayari of Rahat Indori

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे,
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के..!!
जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से,
फूल इस बार खिले है बड़ी तैयारी से,
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए,
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से..!!
गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन,
पहले मयखाने की हालात तो संभाली जाए..!!
नींदो से जंग होती रहेगी तमाम उम्र,
आँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के आ गए..!!
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे..!!
नये किरदार आते जा रहे है,
मगर नाटक पुराना चल रहा है..!!
उस की याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनो से भी इबादत में ख़लल पड़ता है..!!
मैं वो दरिया हूँ की हर बूंद भँवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके..!!
दो ग़ज सही ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया..!!
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे,
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे..!!

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं..!!
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए..!!
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं..!!
एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो..!!
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए..!!
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा..!!
प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी,
ना हक हमने बारिश का अहसान लिया..!!
आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो..!!
ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ,
मुझे तुम से मोहब्बत है बताना भूल जाता हूँ..!!
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुए की तरह परबतों से उड़ते हैं,
ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं..!!
Final Words
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