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Ghalib Shayari

नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को,
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्म ए जिगर को देखते हैं..!!
तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तबदीरें,
मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं..!!
आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था..!!
ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता..!!
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक..!!
ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे..!!
न सुनो गर बुरा कहे कोई,
न कहो गर बुरा करे कोई..!!
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है..!!
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे..!!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना..!!
Ghalib Shayari in Hindi

कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में,
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते..!!
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है..!!
चाँदनी रात के खामोश सितारों की कसम,
दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं..!!
आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग..!!
तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो,
हज़र करो मेरे दिल से कि उसमें आग दबी है..!!
तूने कसम मय-कशी की खाई है ग़ालिब,
तेरी कसम का कुछ एतबार नही है..!!
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ..!!
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक,
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक..!!
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि,
हां रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन..!!
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले..!!
Mirza Ghalib Shayari

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..!!
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और..!!
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए..!!
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब,
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते..!!
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है..!!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई..!!
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के..!!
मरते है आरज़ू में मरने की मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब शर्म तुमको मगर नही आती..!!
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..!!
बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब,
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..!!
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Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi

उनके देखने से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है..!!
काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब,
शर्म तुम को मगर नहीं आती..!!
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते है जिस काफ़िर पे दम निकले..!!
चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श हो हो कर पाएमाल भी..!!
फ़िक्र–ए–दुनिया में सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ..!!
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,
बैठे रहें तसव्वुर–ए–जानाँ किए हुए..!!
ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर,
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में..!!
अर्ज़–ए–नियाज़–ए–इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा,
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा..!!
मुहब्बत में उनकी अना को पास रखते हैं,
हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं..!!
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर–ए–नीम–कश को,
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता..!!
Mirza Ghalib Ki Shayari

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं..!!
मगर लिखवाए कोई उसको खत तो हम से लिखवाए हुई सुबह,
और घर से कान पर रख कर कलम निकले..!!
फिर न इंतज़ार में नींद आये उम्र भर,
आने को हद कर गये आये जो ख्वाब में..!!
दिल गंवारा नहीं करता शिकस्ते-उम्मीद,
हर तगाफुल पे नवाजिश का गुमां होता है..!!
ज़िन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे..!!
आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद..!!
इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया..!!
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है..!!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना..!!
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई..!!
Final Words
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